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शनिवार, 29 अगस्त 2020

साइबर अपराध का अपग्रेड वर्जन ई-सिम स्वैपिंग, अपराधी मिनटों में खाली करते बैंक खाता

दोस्तों अभी ऑनलाइन फ़्रॉड कुछ ज्यादा ही हो गया है जालसाज नए नए तरीके निकाल रहे है और जितना भी फ्रॉड होता है उसके ज्यादातर तार जामतारा से निकल के आते है इसपे नेटफ्लिक्स पर एक वेबसेरीज़ भी बनी लेकिन फ़्रॉड कैसे होते है सब जानते है

 इन दिनों ई-सिम का चलन बढ़ा तो इसी के जरिये साइबर ठग लोगों को झांसे में लेने लगे। ई-सिम अपडेट या एक्टिवेट करने तथा बैंक खाते या वॉलेट से मोबाइल को जोड़ने व केवाइसी अपडेट करने के नाम पर ये साइबर ठग लोगों को फोन कर उन्हें विश्वास में लेते हुए निजी विवरण हासिल कर लेते हैं। कई मामले में तो ग्राहकों के बैंक खाते से जुड़े सिम का ही डुप्लीकेट सिम जारी कर ओटीपी अपने पास मंगा लेते हैं। सिम से बैंक खाते का सफर तय करने में इन्हें मिनट भर लगते हैं। सीधे कहें तो ई-सिम अब साइबर क्राइम का अपग्रेड वर्जन है।

देश के विभिन्न हिस्सों में लोगों को झांसे में लेकर उनके खाते से लाखों रुपये उड़ाने वाले जामताड़ा के शातिर अपराधी साइबर ठगी के लिए नित नए नुस्खे आजमा रहे हैैं। अब ई-सिम के जरिये ठगी शुरू की है। पिछले दिनों हरियाणा के फरीदाबाद में ठगी करने के बाद जामताड़ा के ठगों ने भी पुलिस को बताया कि वे ई-सिम के नाम पर ठगी कर रहे थे। जुलाई में तेलंगाना के साइबराबाद पुलिस स्टेशन में ई-सिम स्वैप के चार मामले दर्ज किए थे। ये मामले जामताड़ा से जुड़े थे। उधर महाराष्ट्र पुलिस की साइबर विंग ने भी पहले ई-सिम स्वैप धोखाधड़ी के खिलाफ एडवाइजरी जारी की थी। पुलिस के मुताबिक ई-सिम के नाम पर ठग झारखंड, बिहार, बंगाल, पंजाब और हरियाणा के सैंकड़ों बैंक खातों तक पहुंच चुके हैैं। फरीदाबाद में पकड़े गए अजय मंडल, भरत कुमार मंडल, शत्रुघ्न मंडल व नरेंद्र मंडल ने बताया कि ई-सिम कांसेप्ट नया है, इसलिए लोग आसानी से झांसे में आ जाते हैं। ठग खुद को टेलीकॉम कंपनी का कर्मी बताकर कॉल करते हैं और मोबाइल व सिम की गुप्त जानकारी हासिल कर लेते हैैं। इसके बाद मोबाइल कंपनी से संंबंधित व्यक्ति का डुप्लीकेट सिम जारी करा लेते हैैं। इसके बाद एटीएम कार्ड और खाते से ट्रांजेक्शन का ओटीपी भी ठगों के पास ही पहुंचता है। एक बार बैैंक में रजिस्टर्ड मोबाइल सिम की डिटेल और ई-मेल आइडी मिल जाने के बाद इन ठगों को संबंधित व्यक्ति के बैैंक खाते तक पहुंचने में देर नहीं लगती। देश के विभिन्न हिस्सों में फैले ये ठग पलभर में खाता खाली कर देते हैं।

क्या है ई- सिम

दरअसल, कुछ मोबाइल कंपनियों ने अपने लेटेस्ट वर्जन के मोबाइलों में ई-सिम का विकल्प दिया है। इसमें मोबाइल में अलग से सिम कार्ड डालने की जरूरत नहीं पड़ती, सिम कार्ड मोबाइल के अंदर इलेक्ट्रॉनिक रूप में उपलब्ध हो जाता है। इसी तकनीक को ठगों ने जरिया बनाया है। पहले इसी तर्ज पर इन शातिरों ने 3जी सिम को 4जी में अपग्रेड करवाने के नाम पर लोगों के डिटेल लेकर ठगी की थी।  

ठगी का तरीका

पुलिस को मिली जानकारी के अनुसार लोगों को पहले शातिर फोन कर व मोबाइल या कंप्यूटर पर लिंक भेजते हैं। ई-सिम अपग्रेड करने के नाम पर उनका डिटेल हासिल करते हैैं। पिछले दिनों ठगों ने चार्मवुड विलेज, फरीदाबाद के मुनीश कुमार जैन से इसी तर्ज पर डिटेल लेकर उनके खाते से 2.30 लाख रुपये उड़ा लिए थे। फरीदाबाद पुलिस ने देवघर से तीन और जामताड़ा से एक शातिर को पकड़ा था। इनमें देवघर के जगदीशपुर का दारवे निवासी भरत मंडल, चरकू उर्फ शत्रुघ्न और नरेंद्र मंडल है। इनकी निशानदेही पर सरगना अजय मंडल भी गिरफ्तार हुआ था। सभी को फरीदाबाद पुलिस ले गई है।

300 से अधिक खातों से रकम उड़ाई

फरीदाबाद पुलिस को पता चला है कि ये साइबर ठग देशभर में 300 खातों का संचालन व उपयोग कर रहे हैं। संदेह से बचने के लिए ठगी के रुपये इन खातों में छोटे-छोटे हिस्सों में ट्रांसफर होते थे। रकम का 50 फीसद अजय लेता था, शेष राशि अन्य में बंटती थी। यह गिरोह बैंकों की साइट पर जाकर खास तरीके से बैंक में पंजीकृत नंबर हासिल कर लेता था। इसके बाद टेलीकॉम कंपनी का कर्मी बताकर 3जी सिम को 4जी या ई-सिम में बदलने का झांसा देता था। जैसे ही कोई राजी होता, उसे फांस लेता था। ओटीपी सहित अन्य जानकारी हासिल कर क्लोन सिम बना लेता और बैैंक खाता खाली कर देता था।

अलग-अलग फंडा

शातिर अलग-अलग तरीके से लोगों को झांसे में लेते हैं। सिम अपग्रेड करने को लुभावने स्कीम की जानकारी देते हैं, सिम को पोर्ट कराने की सलाह देते हैैं। इसके बाद मोबाइलधारक का ईमेल आइडी लेने की कोशिश होती है। फिर ईमेल पर लिंक भेजकर धारक को उससे जुडऩे को कहा जाता है। ऐसा करने पर उसकी बैैंक संबंधित सारी जानकारी ठग आसानी से हैक कर लेता है।

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